मैं कुछ ऐसी चीजें आपको बताता हूं, जिससे फ्लाई ओवर से आम आदमी के जीवन में होने वाले बदलाव को आप बेहतर तरीके से समझ सकें। सबसे बड़ी चीज सीकर जक्शन को लंबी दूरी की ट्रेनों से जोड़ना आसान हो गया है। क्रॉसिंग में लगने वाले 20 मिनट से आधे घंटे तक की बचत होगी।
ट्रेन की स्पीड में बढ़ोतरी और हादसों में कमी होगी। फिलहाल जयपुर में ट्रेनों के ट्रैफिक का काफी दबाव है। इसलिए जयपुर में स्टॉपेज होने वाली ट्रेनों को सीकर होते हुए दिल्ली और बीकानेर तक निकाला जा सकेगा। बांद्रा-श्रीगंगानगर और हिसार-कोटा एक्सप्रेस ट्रेन के संचालन के साथ शुरुआत हो चुकी है। कोरोना के कारण अन्य ट्रेनों के प्रस्तावों पर काम नहीं हो पाया। नए साल में इन प्रस्तावों को आगे बढ़ाएंगे। (जैसा उत्तर पश्चिम रेल मंडल जयपुर के सीपीआरओ शशि किरण ने दैनिक भास्कर के कुलदीप पारीक को बताया)
187 करोड़ की लागत से बनाया गया है ओवरब्रिज 30 मिनट की बचत होगी, जो क्रॉसिंग में लगती है 173 पिलर पर बनाया गया है ये रेलवे ओवर ब्रिज। 110 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ सकेगी ट्रेन। 24 महीने में बना देश का सबसे बड़ा आरओबी।
रेल ओवर ब्रिज की सेंट्रल प्वाइंट पर ऊंचाई करीब आठ मीटर है।
इसके नीचे से डबल ड्रेकर ट्रेन तक निकल सकती है।
जानिए देश-दुनिया के लंबे और ऐतिहासिक पुल
1. नदी पर 9.15 किमी का सबसे लंबा ढोला सदिया पुल : ढोला सदिया पुल को भूपेन हजारिका सेतु के नाम से भी जाना जाता है। पुल पराक्रमी ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर है। वाहनों के लिए बनाया गया यह 9.15 किमी लंबा पुल है। जिसका एक छोर अरुणाचल प्रदेश के ढोला गांव और दूसरा छोर असम के सदिया को जोड़ता है।
2. जमीन पर बना 7.30 किमी का सबसे लंबा रेल पुल : रींगस से छोटा गुढ़ा में बनाया गया रेलवे पुल जमीन पर बनने वाला सबसे लंबा रेलवे फ्लाई ओवर है। अब तक रेलवे के सबसे लंबे फ्लाई ओवर नदी पर ही बने हैं। जमीन पर बनने वाला यह पहला सबसे लंबा पुल है। दिल्ली-मुंबई फ्रेट कॉरिडोर परियोजना को क्रॉसिंग फ्री बनाने के लिए ये पुल बनाया गया है।
3. रेल मार्ग पर 4.94 किमी का सबसे लंबा पुल था बोगीबील : ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर और दक्षिण तट को जोड़ने वाला यह पानी पर देश का सबसे बड़ा रेलवे पुल है। इसकी लंबाई 4.94 किमी है। 1997 में यह मंजूर हुआ था। इसका काम 2002 में शुरू होकर 2018 में पूरा हुआ। इस पर 5920 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
4. चीन में है दुनिया का सबसे लंबा पुल : चीन का किंगडाओ हाइवान सड़क पुल पूर्वी चीन के शैनडांग प्रांत के किंगडाओ शहर को जियाओझू की खाड़ी पर स्थित हुआंगडाओ जोड़ता है। इस पुल की कुल लंबाई लगभग 42.50 किलोमीटर है । इसे बनाने में करीब 381 अरब रुपए की लागत आई है। समुद्र पर यह दुनिया सबसे लंबा पुल है।
मार्च 2017 में निर्माण शुरू मार्च 2019 में पूरा हो गया
सीकर-जयपुर के बीच सबसे बड़े फ्लाई ओवर को बनाने में 24 महीने लगे। 16 मार्च 2017 को इसका काम शुरू हुआ, जो 10 मार्च 2019 को पूरा हुआ। इसे मेट्रो ट्रेन की तर्ज पर 173 कॉलम की तर्ज पर बनाया गया है। इस पर 186.93 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। यहां चार रेल लाइनें एक दूसरे को क्रॉस करती है। इसके नीचे से रेवाड़ी फुलेरा और दिल्ली मुंबई फ्रेट कॉरिडोर की दो रेल लाइन गुजरती है।
8 किलोमीटर के दायरे में 10 गांवों को मिल गया रास्ता रींगस से छोटा गुढ्ढा के बीच बनाए गए 7.30 किलोमीटर लंबे रेल फ्लाई ओवर से सीकर जिले के करीब 10 गांवों को सीधा फायदा हुआ है। इन गांवों के लिए फ्लाई ओवर के नीचे से छह रास्ते दिए गए हैं। जबकि अन्य इलाकों में लोगों को अंडरपास से गुजरना पड़ता है। यहां से कोई भी वाहन आसानी से आ-जा सकते हैं। रेलवे ओवरब्रिज बनने से इन गांवों को लोगों को आवागमन में काफी सहुलियत होगी।
- सीकर को मिल सकती हैं 3 लंबी दूरी की ट्रेनें
- चेन्नई-जयपुर एक्सप्रेस सप्ताह में तीन दिन चलती है। यह नागपुर-भोपाल होते हुए चेन्नई पहुंचती है।
- कोयमबटूर-जयपुर सप्ताह में 1 दिन चलती है। ट्रेन को जयपुर से सीकर तक बढ़ा सकते हैं।
- बाड़मेर-बीकानेर-गोवहाटी ट्रेन को दो दिन वाया चूरू-सीकर-जयपुर चला सकते हैं।