Thoughts are the seed for any existing situation. Happines-sorrow, success-unsuccess, progress-regress etc depends on man’s own thoughts. By working on thoughts – it is possible
नाभिपद्म भुवा विष्णेब्रह- ्मणानिर्मि- तं जगत् ।। स्थावरं जंगमं शक्त्या गायत्र्या एवं वै ध्रुवम॥ (वि- ्णोः) विष्णु की (नाभिपद्म भुवा) नाभि कमल से उत्पन्न हुए