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History

आज का इतिहास:नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग का जन्म,दूसरे नाम से स्विट्जरलैंड में पढ़ाई

By ValsadOnline

January 08, 2021

नॉर्थ कोरिया में सर्वोच्च नेता बनना हर किसी के बस की बात नहीं है। इसके लिए एक खास वंश से संबंध होना जरूरी है। इसे बेकडू वंश कहा जाता है। किम जोंग उन इसी वंश से आते हैं। उत्तर कोरिया में अब तक तीन सर्वोच्च नेता हुए हैं, जो इसी वंश से आए हैं।

सबसे पहले नेता थे किम इल सुंग, जो 1948 से 1994 तक सर्वोच्च नेता रहे। उनके बाद उनके बेटे किम जोंग इल आए। उन्होंने 1994 से 2011 तक देश की सत्ता संभाली। उसके बाद किम जोंग उन आए। वह 2011 से उत्तर कोरिया के लीडर हैं।

किम जोंग उन का जन्म आज ही के दिन 1982 में हुआ था। उनके दादा किम इल सुंग ने उत्तर कोरिया में साम्यवादी राष्ट्र की स्थापना की थी।

स्विट्जरलैंड के स्कूल में दूसरे नाम से पढ़े

किम जोंग 16 साल के थे, तब पढ़ाई के लिए स्विट्जरलैंड चले गए। यहां के लिबेफेल्ड स्टेनहोल्जी स्कूल में उन्होंने 1998 से 2000 तक पढ़ाई की, लेकिन दूसरे नाम से। इस स्कूल में किम जोंग उत्तर कोरियाई एंबेसी के एक कर्मचारी के बेटे के तौर पर पढ़ने गए थे। उनका नाम पाक-उन या उन-पाक था।

किम जोंग पहले साल की पढ़ाई के दौरान 75 दिन और दूसरे साल 105 दिन तक क्लास नहीं गए थे। उनके मार्क्स भी बहुत अच्छे नहीं आते थे। उनके साथ पढ़ने वाले उनके क्लासमेट्स ने एक बार इंटरव्यू में बताया था कि किम जोंग बचपन में बहुत शर्मीले थे। उनके एक दोस्त ने दावा किया था कि किम जोंग ने उसे एक बार बताया था कि वो नॉर्थ कोरिया के सबसे बड़े नेता के बेटे हैं।

किम जोंग को बास्केटबॉल और कम्प्यूटर गेम्स खेलना बहुत पसंद था। वह अक्सर ड्रॉइंग भी किया करते थे। किम जैकी चेन के बहुत बड़े फैन थे। किम जोंग के पास दो डिग्री हैं। पहली फिजिक्स की है, जो उन्होंने किम-II संग यूनिवर्सिटी से ली है। दूसरी आर्मी ऑफिसर की है, जो उन्होंने किम इल सुंग मिलिट्री यूनिवर्सिटी से हासिल की है।

बिमल रॉय का निधन, जिनकी फिल्म ने भारतीय सिनेमा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई

भारतीय सिनेमा की वह पहली फिल्म जिसने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वाहवाही बटोरी थी, उसे बिमल रॉय ने डायरेक्ट किया था। आज ही के दिन 1965 में बिमल रॉय ने दुनिया को अलविदा कहा था।

बिमल रॉय ने मधुमती, बंदिनी, सुजाता और देवदास जैसी मशहूर फिल्में बनाईं, लेकिन जिस फिल्म ने उन्हें दुनिया में ख्याति दिलाई, वह थी ‘दो बीघा जमीन’। बिमल रॉय की इस फिल्म को 1954 में हुए कान फिल्म महोत्सव में सम्मानित किया गया था।

बिमल रॉय का जन्म 12 जुलाई 1909 को सुआपुर में हुआ था। यह जगह अब बांग्लादेश में है। सिनेमा सीखने के लिए रॉय कोलकाता आ गए और बतौर कैमरा असिस्टेंट काम करने लगे।

वह 1950 में अपनी टीम के साथ मुंबई चले गए। अपने फिल्मी करियर में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके रॉय की फिल्म मधुमती ने 1958 में नौ फिल्मफेयर अपने नाम किए। यह रिकॉर्ड 37 साल तक कायम रहा।

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