Site icon Valsad Online

Motivational story:अधिकतर लोगों का मन उन चीजों की ओर लगा रहता है, जो उनके पास नहीं है, यही दुखों का मूल कारण है

motivational-story-about-success-and-happiness-Valsad-ValsadOnline

motivational-story-about-success-and-happiness-Valsad-ValsadOnline

पुराने समय में एक राजा का जन्म दिन था। जब वह सुबह जागा तो उसने खुद को ये वचन दिया कि वह आज किसी एक व्यक्ति को पूरी तरह खुश और संतुष्ट करेगा। ये सोचकर वह अपने राज्य में घूमने निकल गया।

रास्ते में उसे एक भिखारी दिखाई दिया। वह नाली में कुछ ढूंढ रहा था। राजा ने उससे पूछा कि क्या कोई कीमती चीज खो गई है। भिखारी ने कहा कि मेरा तांबे का एक सिक्का नाली में गिर गया है। वही ढूंढ रहा हूं। राजा ने उसे चांदी का एक सिक्का दिया और सोचा कि अब ये खुश हो जाएगा। भिखारी ने चांदी का सिक्का लिया और अपने झोले में डाल लिया। वह फिर से नाली में तांबे का सिक्का खोजने लगा।

राजा ने सोचा कि शायद ये बहुत गरीब है। उसे फिर बुलाया और इस बार सोने का सिक्का दिया। भिखारी ने सोने का सिक्का देखकर राजा को बहुत धन्यवाद दिया। वह बहुत खुश था, लेकिन उसने वह सिक्का लेकर झोले में डाला और फिर से नाली में जाकर तांबे का सिक्का खोजने लगा।

इस बार राजा को गुस्सा आ गया। लेकिन, राजा को सुबह का वचन याद आ गया कि मुझे आज किसी को खुश और संतुष्ट करना है। उसने भिखारी को बुलाया और कहा कि मैं तुम्हें मेरा आधा राजपाठ देता हूं। तुम अब तो खुश और संतुष्ट हो जाओ।

भिखारी बोला कि राजन् मैं तो तभी खुश और संतुष्ट हो सकूंगा, जब मुझे मेरा तांबे का सिक्का वापस मिल जाएगा।

राजा समझ गया कि इसका मन उसी तांबे के सिक्के में फंसा हुआ है। उसने सैनिकों को बुलवाया और उसका सिक्का खोजने का आदेश दिया। सैनिकों ने कुछ ही देर में वह सिक्का खोजकर भिखारी को दे दिया। सिक्का पाकर भिखारी खुश और संतुष्ट हो गया।

सीख – इस कथा की सीख यही है कि अधिकतर लोग उन चीजों को पाने में लगे रहते हैं, जो उनके पास नहीं है। जो चीजें पास हैं, उनकी ओर ध्यान नहीं देते हैं। यही दुखों का मूल कारण है। इससे बचना चाहिए।

Exit mobile version