Valsad Online
Join Telegram Valsad ValsadOnline
Inspiration

समाजनिष्ठा का विकास करें

स्वयं क्रिया कुशल और सक्षम होने के बावजूद भी कितने ही व्यक्ति अन्य औरों से तालमेल न बिठा पाने के कारण अपनी प्रतिभा का लाभ समाज को नहीं दे पाते। उदाहरण के लिए फुटबाल का कोई खिलाड़ी अपने खेल में इतना पारंगत है कि घण्टों गेंद को जमीन पर न गिरने दे परन्तु यह भी हो सकता है कि टीम के साथ खेलने पर अन्य खिलाड़ियों से तालमेल न बिठा पाने के कारण वह साधारण स्तर का भी न खेल सके।

अक्सर संगठनों में यही भी होता है कि कोई व्यक्ति अकेले तो कोई ज़िम्मेदारी आसानी से निभा लेते हैं, किन्तु उनके साथ दो चार व्यक्तियों को और जोड़ दिया जाय तथा कोई बड़ा काम सौंप दिया तो वे ज़िम्मेदारी से कतराने लगते हैं। कुछ व्यक्तियों को यदि किसी कार्य कि ज़िम्मेदारी सौंप दी जाय तो हर व्यक्ति यह सोच कर अपने दायित्व से उपराम होने की सोचने लगता है कि दूसरे लोग इसे पूरा कर लेंगे।

बौद्ध साहित्य में सामूहिक जिम्मेदारी के आभाव का एक अच्छा प्रसंग आता है। किसी प्रदेश के राजा ने कोई धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए राजधानी के निवासियों को निर्देश दिया कि सभी लोग मिलकर नगर के बाहर तैयार किये गए हौज में एक-एक लोटा दूध डालें। हौज को ढक दिया गया था और निश्चित समय पर जब हौज का ढक्कन हटाया गया तो पता चला कि दूध के भरने के स्थान पर हौज पानी से भरा था। कारण का पता लगाया गया तो मालूम हुआ कि प्रत्येक व्यक्ति ने यह सोच कर दूध के स्थान पर पानी डाला था कि केवल मैं ही पानी डाल रहा हूँ अन्य और लोग तो दूध ही डाल रहे हैं।

समाज में रहकर अन्य लोगों से तालमेल बिठाने तथा अपनी क्षमता योग्यता का लाभ समाज को देने कि स्थिति भी सामाजिकता से ही प्राप्त हो सकती है।

पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

Related posts

“जीवन एक साइकिल चलाने की तरह है। अपना संतुलन बनाये रखने के लिए आपको चलते रहना होगा।”

ValsadOnline

Welcome-ઇ.સ.2021

ValsadOnline

What is Love …?

ValsadOnline