एक राजा ने अपने मंत्रियों से तीन प्रश्न पूछे। पहला, सबसे अच्छा मित्र कौन है? दूसरा, सबसे अच्छा समय कौन सा है? तीसरा, सबसे अच्छा काम कौन सा है? कुछ मंत्रियों ने कहा कि जो समय और काम ज्योतिषी बताता है, वही सबसे अच्छा होता है। कुछ लोग बोले कि राजा के सबसे अच्छे मित्र मंत्री होते हैं। इन जवाबों से राजा संतुष्ट नही हुए।
राजा इन प्रश्नों के जवाब मालूम करने के लिए राज्य के सबसे विद्वान संत के पास पहुंचे। राजा ने संत का सिर्फ नाम ही सुना था, कभी भी वे संत से मिले नहीं थे। जब राजा संत के आश्रम में पहुंचे तो वहां कोई नहीं था। आश्रम के पास ही एक खेत में एक बूढ़ा व्यक्ति बीज बोने का काम कर रहा था।
राजा उस बूढ़े के पास पहुंचे और उससे संत के बारे में पूछा। बूढ़े ने कहा कि आप जिससे मिलना चाहते हैं, वह व्यक्ति मैं ही हूं। बताइए क्या काम है?
राजा ने संत से अपने तीनों प्रश्न पूछे। संत ने राजा से कहा कि बीज बोने में मेरी मदद करो। राजा बिना कुछ बोले संत की मदद करने लगे। काफी समय बीत गया, शाम होने वाली थी, लेकिन राजा को अपने प्रश्नों का उत्तर नहीं मिला। तभी वहां एक घायल व्यक्ति के चिल्लाने की आवाज आने लगी। संत ने राजा से कहा कि हमें उस व्यक्ति के पास चलना चाहिए। उसकी मदद करना हमारा कर्तव्य है।
राजा संत के पीछे-पीछे चल दिया। जैसे ही वे घायल व्यक्ति के पास पहुंचे। उसने राजा के पैर पकड़ लिए और माफी मांगने लगा। उसने बताया कि मैं आपको मारने आया था, लेकिन आपके सैनिकों ने मुझे घेर लिया था। उनके प्रहारों से मैं घायल हो गया हूं। किसी तरह वहां से बचकर जंगल में छिप गया था।
राजा ने संत से अपने प्रश्नों के बारे में पूछा। संत बोले कि आपके सभी सवालों के जवाब तो मिल गए हैं। सबसे अच्छा समय वर्तमान है। सबसे अच्छा मित्र वही है जो हमारे सामने होता है। सबसे अच्छा काम उपस्थित कर्म है। अगर ये बातें नहीं होती तो वह व्यक्ति आपका मित्र कैसे बनता जो आपके मारने आया था।