तारीख 29 मई 1953 और दिन के 11 बजकर 30 मिनट। न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और नेपाल के शेरपा तेनजिंग नोर्गे ठीक इसी पल माउंट एवरेस्ट पर पहुंचे। पूरी दुनिया इस पल को ऐतिहासिक उपलब्धि के तौर पर याद करती है। आज इस कारनामे को हुए 68 साल हो गए हैं। ये अभियान ब्रिटेन की ओर से था। पूरी दुनिया को ये खबर 4 दिन बाद 2 जून को मिली। इस दिन ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ द्वितीय का राज्याभिषेक भी था।
29 हजार 32 फीट ऊंचा माउंट एवरेस्ट हिमालय की सबसे ऊंची चोटी है। बेहद सर्द मौसम, सीधी चढ़ाई और बर्फीले तूफानों की वजह से काफी प्रयासों के बाद भी इस चोटी पर कोई भी इंसान नहीं पहुंच पाया था। 1921 में ब्रिटेन ने ही एक अभियान के तहत पर्वतारोहियों का एक दल माउंट एवरेस्ट पर भेजा था। दल अपने मिशन पर था, लेकिन एक भयानक बर्फीले तूफान ने दल का रास्ता रोक दिया। पूरा दल मिशन अधूरा छोड़कर लौट आया। इस कोशिश को सफलता नहीं मिली, लेकिन दल में शामिल जॉर्ज ले मेलरी ने चोटी तक पहुंचने का थोड़ा आसान रास्ता देख लिया था।
अगले साल मेलरी फिर माउंट एवरेस्ट फतह करने निकल पड़े। इस बार 27 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंच गए, लेकिन फिर मौसम ने साथ नहीं दिया। इस तरह एवरेस्ट को फतह करने की कोशिशें चलती रहीं। 1952 में तेनजिंग नोर्गे ने 28 हजार 210 फीट की ऊंचाई तक पहुंचकर कारनामा जरूर किया था, लेकिन माउंट एवरेस्ट की चोटी अभी भी दूर थी।
अगले साल ब्रिटेन ने कर्नल जॉन हंट की अगुआई में एक दल को माउंट एवरेस्ट पर भेजने की तैयारी की। तेनजिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी भी इसी दल का हिस्सा थे। इस दल को पूरी तैयारी के साथ माउंट एवरेस्ट फतह करने भेजा गया।
अप्रैल 1953 में दल ने चढ़ाई शुरू की। दल 26 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच चुका था। आगे का रास्ता और भी कठिन था। 26 मई को दल के ही 2 लोग चार्ल्स इवांस और टोम बोर्डिलन ने आखिरी चढ़ाई शुरू की। चोटी से करीब 300 फीट की दूरी पर ऑक्सीजन मास्क में खराबी आने की वजह से दोनों को वापस लौटना पड़ा।
28 मई को एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे ने चढ़ाई शुरू की। दिनभर की चढ़ाई के बाद 27 हजार 900 फीट की ऊंचाई पर भीषण बर्फीले तूफान और सर्दी के बीच रात गुजारी। सुबह फिर चढ़ाई शुरू की और 9 बजे तक दोनों उत्तरी शिखर पर पहुंच गए थे। इन दोनों और माउंट एवरेस्ट के बीच अब 40 फीट ऊंची एक बर्फीली चट्टान खड़ी थी। हिलेरी रस्सी की मदद से चट्टान के बीच की एक दरार से होते हुए ऊपर पहुंच गए। उन्होंने वहां से रस्सी फेंकी। नोर्गे रस्सी पकड़कर ऊपर आए। साढ़े 11 बजे दोनों दुनिया के शिखर पर थे।