History

आज का इतिहास:कहानी उस प्रधानमंत्री की, जो कवि और पत्रकार भी रहे थे; जिन्होंने भारत को न्यूक्लियर स्टेट बनाया

By ValsadOnline

December 25, 2020

वो एक स्कूल टीचर के बेटे थे। अपने पिता के साथ उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की। करियर पत्रकारिता से शुरू किया, लेकिन शौक कविताएं लिखने का था। पढ़ाई के दौरान ही आरएसएस से जुड़े, वहीं से राजनीति की ओर रुख किया। उनके भाषणों को सुनने के लिए विरोधी भी उनकी सभाओं में जाते थे।

पहला चुनाव लड़ा तो हार गए। दूसरी बार तीन जगह से चुनाव लड़े तो एक जगह से जीत मिली। एक वक्त ऐसा तक आया, जब उनकी पार्टी के दो सांसद थे, जिनमें से एक वो खुद थे। एक वक्त ऐसा भी आया, जब वो देश के प्रधानमंत्री बने और 20 से ज्यादा दलों के समर्थन के साथ। हम बात कर रहे हैं अटल बिहारी वाजपेयी की। आज ही के दिन 1924 में उनका जन्म हुआ था।

दुनिया उनकी भाषण शैली की कायल थी। लेकिन, वही अटलजी जब स्कूल के फंक्शन में पहली बार अपना भाषण पढ़ने खड़े हुए थे तो आधे भाषण के बाद उन्होंने बोलना बंद कर दिया था, क्योंकि वो अपना भाषण भूल गए थे।

अटलजी तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे। पहली बार 13 दिन और दूसरी बार 13 महीने के लिए। 13 अक्टूबर 1999 को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और देश के पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया।

बात मई 1998 की है। अटलजी को प्रधानमंत्री बने महज 3 महीने हुए थे। 11 मई की दुनियाभर में ये खबर चली की भारत ने न्यूक्लियर टेस्ट किया है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए तक को इसकी भनक नहीं लगी। 13 मई को एक बार फिर भारत ने सफल टेस्ट किया। इसी के साथ भारत दुनिया के परमाणु शक्ति संपन्न देशों की लिस्ट में शामिल हो गया।

वो अटलजी ही थे, जिनकी सरकार के फैसले की वजह से कभी 17 रुपए मिनट कॉलिंग वाले मोबाइल पर बात फ्री कॉलिंग तक पहुंची। उनकी सरकार ने टेलीकॉम फर्म्स के लिए फिक्स्ड लाइसेंस फीस को खत्म कर दिया और उसकी जगह रेवेन्यू शेयरिंग की व्यवस्था शुरू की। अटल सरकार में ही 15 सितंबर 2000 को भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) का गठन किया। इसके अलावा टेलीकॉम सेक्टर में होने वाले विवादों को सुलझाने के लिए 29 मई 2000 को टेलीकॉम डिस्प्यूट सेटलमेंट अपीलेट ट्रिब्यूनल (TDSAT) को भी गठन किया।

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