5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते वक्त कार्बन उत्सर्जन के बारे में जरूर जानना चाहिए। पूरी दुनिया के लिए कार्बन उत्सर्जन रोकना बड़ी चुनौती है। भारत 2030 तक 30 से 35% तक कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए काम कर रहा है। इसकी वजह से हर साल अर्थव्यवस्था को 210 अरब डॉलर यानी 15 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होता था, लेकिन कोरोना काल के दौरान दिसंबर 2020 तक भारत में 2019 की तुलना में 10% कार्बन उत्सर्जन कम हो गया। इससे अर्थव्यवस्था को 1.5 लाख करोड़ रुपए का फायदा हो सकता है।
दूसरी लहर में भी अप्रैल और मई में देश के अधिकांश हिस्से में लॉकडाउन रहा। इससे कार्बन उत्सर्जन में आई कमी के आंकड़े साल के आखिर में आएंगे। लेकिन विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि 2019 की तुलना में 2021 में कार्बन उत्सर्जन कम होगा। यह ट्रेंड केवल भारत में नहीं रहा, बल्कि पिछले साल पूरी दुनिया में 9.6% कार्बन उत्सर्जन घटा है। ऐसा दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार हुआ है। आइए पांंच ग्राफिक्स से कार्बन उत्सर्जन की पूरी कहानी जानते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस
साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था। स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुए इस आयोजन में करीब 110 देशों ने हिस्सा लिया। इसमें संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का गठन हुआ। इस सम्मेलन की शुरुआत 5 जून को हुई थी। इसी की याद में 1974 में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। इसके बाद से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 1987 से दुनियाभर के अलग-अलग देशों को इस दिन की मेजबानी सौंपने की शुरुआत की गई। 2018 में इसका मेजबान भारत था। इस साल की मेजबानी पाकिस्तान को दी गई है।
5 जून को देश दुनिया में हुईं कुछ अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं…
2017: भारत ने जीएसएलवी एमके-3 रॉकेट की मदद से जीसैट-19 सेटेलाइट को लॉन्च किया।
2015: मैगी में लेड की ज्यादा मात्रा मिलने के बाद भारत ने मैगी पर बैन लगा दिया।
2011: योगगुरु बाबा रामदेव को पुलिस ने जबरदस्ती हिरासत में लिया। रामदेव भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे।