History

याद करो वह दिन :” हमारे राष्ट्रीय शहीदोंको श्रद्धांजलि “

By ValsadOnline

February 14, 2021

14 फरवरी 2019 गुरुवार का दिन दोपहर का समय, ये दिन इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है। क्योंकि, इस दिन हमने अपने देश के जाबाज हीरों को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया था। दरअसल, 14 फरवरी 2019 को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 2500 जवानों का काफिला 78 बसों से जा रहा था। काफिला में ज्यादातर जवान वो शामिल थे जो छुट्‌टी काटकर ड्यूटी पर लौटे थे। लेकिन जब काफिला जम्मू कश्मीर हाईवे पर अवंतिपोरा इलाके में पहुंचा तो लगभग 3.15 बजे 100 किलो विस्फोटक से भरी कार काफिले में शामिल एक बस से जा टकराई। जिससे ज़ोरदार धमाका हुआ। इस धमाके से बस पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई लिहाज़ा इस बस में सवार जवान शहीद हो गए। जम्मू-कश्मीर में हुए अब तक के सबसे बड़े आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए और 40 से ज्यादा घायल हुए हैं। धमाका इतना भयंकर था कि बस के परखच्चे उड़ गए थे। धमाका कितना तेज़ था और ये हमला कितना घातक था इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस विस्फोट की आवाज़ 10 किलोमीटर के दायरे तक सुनाई दी थी। धमाके के बाद घात लगाए आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग भी की थी। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्कानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा था कि जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी।

आतंकी हमले के करीब 12 दिन बाद, 26 फरवरी की रात में, भारतीय वायु सेना के जेट विमानों ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट में जेएम शिविर पर बमबारी की।

26 फरवरी के शुरुआती घंटों में एक खुफिया नेतृत्व वाले ऑपरेशन में, भारत ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर पर हमला किया था। इस ऑपरेशन में, बहुत बड़ी संख्या में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी, प्रशिक्षक, वरिष्ठ कमांडर और जिहादियों के समूह जो शामिल थे उनका सफाया कर दिया गया था। बालाकोट में यह शिवर जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के बहनोई मौलाना यूसुफ अजहर (उर्फ उस्ताद घोरी) के नेतृत्व में चलाए जा रहे थे।