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History

आज का इतिहास:उस मुगल बादशाह का जन्म, जिसने दुनिया के लिए प्रेम का प्रतीक बनाया

By ValsadOnline

January 05, 2021

पांच जनवरी 1592 को जुमेरात (गुरुवार) के दिन जहांगीर की बेगम ने एक बेटे को जन्म दिया। जहांगीर ने अपने पिता अकबर से उसके बेटे का नाम रखने की इच्छा जताई। अकबर ने उसे खुर्रम बुलाया। फारसी में खुर्रम का मतलब होता है खुशी। पैदाइश के छठवें दिन खुर्रम को अकबर की बेगम रुकैया के हवाले कर दिया गया। क्योंकि बेगम रुकैया की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उसने खुर्रम को गोद ले लिया।

अकबर खुर्रम के दादा थे। खुद अनपढ़ थे, लेकिन उन्होंने खुर्रम को तालीम दिलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। साथ ही बढ़िया उस्तादों से उसे जंग के सबक भी सिखवाए। अकबर का खुर्रम से इतना लगाव हो गया था कि वो जंग में खुर्रम को भी साथ ले जाने लगा। यहीं से सफर शुरू हुआ खुर्रम के ‘शाहजहां’ बनने का।

फिर तख्त पर आया शाहजहां1627 में जहांगीर की मौत हो गई। उसकी मौत के बाद 1628 में खुर्रम ने तख्त संभाला। तख्त संभालने के बाद खुर्रम का नाम शाहजहां हो गया। शाहजहां यानी दुनिया का राजा। शाहजहां ने उत्तर दिशा में कंधार तक अपना राज्य फैला दिया और दक्षिण भारत का ज्यादातर हिस्सा जीत लिया। शाहजहां ने 1658 तक राज किया और इन 30 सालों के राज में उसने काफी कुछ हासिल किया।

मुमताज से मोहब्बतजहांगीर के दौर में वजीर थे एतमाउद्दौला। इन्हीं एतमाउद्दौला के बेटे थे अबु हसन आसफ खान। और इन्हीं अबु हसन आसफ खान की बेटी थीं अर्जुमंद बानो। अर्जुमंद बानो जिन्हें बाद में मुमताज के नाम से जाना गया। मुमताज शाहजहां की तीसरी पत्नी थी। उनसे पहले शाहजहां की दो और बेगम थीं।

अप्रैल 1607 में 14 साल की अर्जुमंद और 15 साल के खुर्रम की सगाई हुई। फिर 10 मई 1612 को सगाई के करीब 5 साल बाद दोनों का निकाह हुआ। अर्जुमंद से सगाई और निकाह के बीच खुर्रम ने दो और शादियां की थीं।

कहते हैं कि मुमताज और शाहजहां के बीच बहुत ज्यादा मोहब्बत थी। दोनों के 13 बच्चे हुए। निकाह से लेकर मौत तक मुमताज करीब हर साल गर्भवती रहीं। जून 1631 में 14वें बच्चे को जन्म देने के दौरान मुमताज की मौत हो गई। ऐसा बताया जाता है कि मुमताज की मौत के दो साल बाद तक शाहजहां ने भोग विलास के सारे सुख छोड़ दिए थे। उनके बाल-दाढ़ी बढ़ गए थे।

मुमताज की याद में बनाया ताजमहलशाहजहां को वास्तुकार का राजा भी कहा जाता है। उसने अपने शासनकाल में बहुत सी इमारतें बनवाईं। इन्हीं इमारतों में से एक ताजमहल है। 1631 में जब मुमताज की मौत हो गई, तो शाहजहां ने उसके मकबरे के लिए ताजमहल बनवाया।

ताजमहल के चीफ आर्किटेक्ट थे उस्ताद ईशा खान, जो उस समय के मशहूर आर्किटेक्ट थे। ताजमहल बनाने में फारस और तुर्की के अलावा भारत के 20 हजार मजदूरों ने काम किया। एक हजार हाथी तो सिर्फ माल ढोने के लिए लगे थे।

ताजमहल को बनाने में 22 साल का वक्त लगा। 1631 में शुरू हुआ इसका निर्माण कार्य 1653 में पूरा हुआ। ताजमहल के पीछे शाहजहां काला ताज भी बनाना चाहते थे, लेकिन अपने बेटे औरंगजेब के साथ उनका टकराव शुरू हो गया। 22 जनवरी 1966 को आगरा में शाहजहां की मौत हो गई।

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