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इतिहास में आज:उस तानाशाह को अमेरिका ने फांसी दी

By ValsadOnline

December 30, 2020

आज ही के दिन 2006 में दो दशक तक इराक पर राज करने वाले तानाशाह सद्दाम हुसैन को फांसी दी गई थी। इराक के तिकरित के एक गांव में पैदा हुए सद्दाम हुसैन ने महज 20 साल की उम्र में बाथ पार्टी की सदस्यता ली। 1962 में इराक में हुए विद्रोह का भी हिस्सा सद्दाम हुसैन रहे। उस वक्त उनकी उम्र 25 साल थी। 31 साल का होते-होते सद्दाम इराक की सत्ता में आ गए। बात 1968 की है। जब सद्दाम ने अहमद हसन अल बक्र के साथ मिलकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था।अल बक्र के साथ 11 साल शासन करने के बाद सद्दाम ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर अल बक्र को भी इस्तीफे के लिए मजबूर कर दिया और खुद इराक के राष्ट्रपति बन गए। इसके बाद अगले 20 साल सद्दाम ने इराक पर राज किया। इस दौरान 1982 में सद्दाम पर जानलेवा हमले की कोशिश हुई। इस हमले के बाद दुजैल में 148 शियाओं को मार दिया गया।2006 में जब सद्दाम को फांसी पर चढ़ाया गया, तो उन्हें इसी नरसंहार का दोषी ठहराया गया था। इससे पहले 2003 में अमेरिका और ब्रिटेन ने इराक पर हमला कर सद्दाम को गिरफ्तार कर लिया था। और इसी के साथ इराक में सद्दाम शासन का खात्मा हुआ।ISRO की स्थापना करने वाले वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का निधनवो वैज्ञानिक जिन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे जिन्होंने 1962 में इंडियन नेशनल कमिटी फॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना की, जिसका नाम बाद में ISRO हुआ। जिन्होंने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, तिरुवनंतपुरम की स्थापना की। आज ही के दिन 1971 में उनका निधन हुआ था। हम बात कर रहे हैं विक्रम साराभाई की।

उनका जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में हुआ था। पढ़ाई कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से पूरी की। 1942 में दूसरे विश्व युद्ध के वक्त देश लौटना पड़ा। यहां आकर रिसर्च पर कई काम किए। 28 साल की उम्र में 11 नवंबर 1947 को अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की। यहां से शुरू हुआ उनका सफर 1971 तक जारी रहा। उन्हें देश के स्पेस साइंस प्रोग्राम को आगे बढ़ाने और उंचाई पर ले जाने का श्रेय है। विज्ञान में उनके योगदान को देखते हुए 1966 में पद्म भूषण और 1972 में मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।सोवियत संघ की स्थापना हुई

1922 में लेनिन ने आसपास के 14 राज्यों को रूस में मिलाया और आधिकारिक रूप से USSR की स्थापना हुई। मॉस्को इसकी राजधानी बनी। व्लादिमिर लेनिन इसके प्रमुख थे। जार की तानाशाही के बाद इसे लोकतंत्र की स्थापना में उठाया गया कदम माना गया। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक बार फिर नए तरह का तानाशाही शासन की शुरुआत हुई।स्टालिन इस तानाशाही सत्ता का सबसे बड़ा नाम बने। करीब 69 साल के अपने अस्तित्व के दौरान इस अमेरिका के साथ शीत युद्ध के दौरान दुनिया ने दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों की होड़ देखी।1985 में गोर्बाचोफ कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने, तो उन्होंने सुधार कार्यक्रम शुरू किया क्योंकि उनके पास एक खराब अर्थव्यवस्था और एक अक्षम राजनीतिक ढांचा था। इन्हीं सुधारों का नतीजा रहा कि 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया। इसके बाद अस्तित्व में आया।भारत और दुनिया में 30 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं :

 

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