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आज का इतिहास :नुक्कड़ नाटक को पहचान दिलाने वाले की नाटक करते हुए हत्या हुई

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1 जनवरी 1989 को गाजियाबाद के झंडापुर में अंबेडकर पार्क के नजदीक जन नाट्य मंच (जनम), माकपा के उम्मीदवार रामानंद झा के समर्थन में नुक्कड़ नाटक कर रहा था। नाटक का नाम था, ‘हल्ला बोल’। तभी कांग्रेस के उम्मीदवार मुकेश शर्मा वहां से निकल रहे थे। उन्होंने सफदर हाशमी से रास्ता देने को कहा। इस पर सफदर ने उन्हें थोड़ी देर रुकने या दूसरा रास्ते से निकलने को कहा।

तभी मुकेश शर्मा के समर्थक नाराज हो गए और उन्होंने नाटक मंडली पर हमला कर दिया। इस हमले में सफदर बुरी तरह जख्मी हो गए। उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां 2 जनवरी को उन्होंने दम तोड़ दिया। सफदर हाशमी ने जब दुनिया को अलविदा कहा, तब उनकी उम्र मात्र 34 साल थी। इतनी कम उम्र जीने वाले सफदर हाशमी ने ऐसा मुकाम बना लिया था, जो लोगों के दिलों में उतर चुका था।

अगले दिन सफदर हाशमी का जब अंतिम संस्कार हुआ, तब दिल्ली की सड़कों पर 15 हजार से ज्यादा लोग उमड़ आए थे। सफदर की मौत के 48 घंटे बाद उनकी पत्नी मौली श्री और उनके साथियों ने अंबेडकर पार्क जाकर हल्ला बोल नाटक का मंचन किया। उस दिन तारीख थी 4 जनवरी। उन्होंने कई कविताएं भी लिखीं। उनकी मशहूर कविताओं में से एक ये भी है, “किताबें करती हैं बातें, बीते जमाने की, दुनिया की इंसानों की…’

12 अप्रैल 1954 को जन्मे सफदर हाशमी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में एमए किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद सूचना अधिकारी बने, लेकिन बाद में नौकरी से इस्तीफा देकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ले ली। 1978 में 24 साल की उम्र में जन नाट्य मंच की स्थापना की। उनकी मौत के 14 साल बाद 2003 में गाजियाबाद कोर्ट ने कांग्रेस नेता मुकेश शर्मा समेत 10 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई।

पहली बार चांद के करीब पहुंची इंसान की बनाई चीज

चांद के सबसे करीब पहुंचने वाला अंतरिक्ष यान LUNA-1 आज ही के दिन 1959 में लॉन्च किया गया था। ये पहली बार था, जब इंसान की बनाई कोई चीज चांद के सबसे करीब पहुंची थी। ये चांद की सतह से 6 हजार 400 किमी दूर था। इसे सोवियत संघ (अब रूस) ने लॉन्च किया था, लेकिन तकनीकी खराबी की वजह से ये चांद की सतह पर नहीं उतर पाया था। सोवियत संघ इससे पहले भी तीन बार मिशन लॉन्च कर चुका था, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल सकी थी।

LUNA-1 ने अपने सफर के दौरान सोलर स्टॉर्म्स के बारे में जानकारी थी। यानी, इससे ही पता चला था कि अंतरिक्ष में भी पृथ्वी की तरह तूफान आते हैं। इसके साथ ही LUNA-1 पहला अंतरिक्ष यान था, जिसने पृथ्वी की एस्केप वैलोसिटी को पार किया था। एस्केप वैलोसिटी वो होती है, जिसके बिना कोई भी चीज पृथ्वी के ग्रेविटेशनल एरिया (गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र) से बाहर नहीं जा सकती। पृथ्वी की एस्केप वैलोसिटी 11.2 किमी प्रति सेकंड है। ये आवाज की रफ्तार से 33 गुना ज्यादा है।

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