1948 में आज ही के दिन महात्मा गांधी ने अपना आखिरी भाषण दिया था। इसके बाद वो 13 जनवरी से अनशन पर चले गए थे। 12 जनवरी की शाम को दिए अपने आखिरी भाषण में गांधीजी ने कहा था कि सांप्रदायिक दंगों में बर्बादी देखने से बेहतर है मौत को गले लगा लेना है।
दरअसल, 1947 में जब आजादी मिली, तो इसके साथ विभाजन भी बुरे तोहफे के तौर पर मिला था। इससे भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग देश बन गए। बंटवारे की वजह से देशभर में सांप्रदायिक हिंसा होने लगीं। हिंदू, मुस्लिम और सिख एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। इन दंगों ने गांधीजी को झकझोर कर रख दिया।
देश में दंगे रोकने के लिए उन्होंने 13 जनवरी से अनशन पर जाने का फैसला लिया। 12 जनवरी को उन्होंने दिल्ली में आखिरी भाषण दिया। गांधीजी ने कहा, ‘उपवास की शुरुआत कल खाना खाने के समय के साथ होगी और इसका अंत तब होगा, जब मैं इस बात से संतुष्ट हो जाऊंगा कि सभी समुदायों के बीच बिना किसी दबाव के एक बार फिर से स्वयं के अंतर्मन से भाईचारा स्थापित हो गया है। नि-सहायों की तरह भारत, हिंदुत्व, सिख धर्म और इस्लाम की बर्बादी से देखने से अच्छा मृत्यु को गले लगाना, मेरे लिए कहीं ज्यादा सम्मान जनक उपाय होगा।’
इसके बाद गांधीजी अगले दिन से अनशन पर चले गए। 5 दिन बाद गांधीजी की शर्त मान ली गई और देश में शांति लाने की पूरी कोशिश की। माना जाता है कि गांधीजी का आखिरी भाषण ही उनकी हत्या का कारण बना।
भारत के बंटवारे की वजह से पहले से ही कुछ लोग गांधीजी से निराश चल रहे थे। आखिरकार 30 जनवरी 1948 को जब गांधीजी बिरला हाउस में प्रार्थना करने जा रहे थे, तभी नाथूराम गोडसे ने उन पर तीन गोलियां चला दीं। महात्मा गांधी के आखिरी शब्द थे, “हे राम’।
गांधीजी की हत्या के आरोप में नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को 15 नवंबर 1949 को फांसी की सजा दी गई। ये आजाद भारत की पहली फांसी थी।
अमेरिकी संसद ने इराक युद्ध को मंजूरी दी 1991 में आज ही के दिन अमेरिकी संसद ने इराक के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने की मंजूरी दी थी। तीन दिनों की बहस के बाद अमेरिकी संसद ने इस प्रस्ताव को 250 वोटों से पास कर दिया था। इसके खिलाफ 183 वोट पड़े थे।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र ने उस समय के इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को 15 जनवरी तक कुवैत से अपनी सेना हटाने को कहा था और ऐसा न करने पर इराक को सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी थी।
16 जनवरी 1991 को इराक की राजधानी बगदाद में भारी बमबारी के साथ ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म के नाम से पहले खाड़ी युद्ध की शुरुआत हो गई। 25 फरवरी को इराकी सेना कुवैत से पीछे हटने लगी और 28 फरवरी को अमेरिका ने युद्ध जीतने की घोषणा कर दी।
भारत और दुनिया में 12 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं :